Monday, 11 August 2025

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

शब्दार्थ

वक्रतुंड – टेढ़े सूंड वाले (गणेशजी का विशेष लक्षण)

महाकाय – विशाल शरीर वाले

सूर्यकोटि समप्रभ – करोड़ सूर्यों के समान प्रकाशमान

निर्विघ्नं – बिना विघ्न के

कुरु – कर दीजिए / बनाइए

मे – मेरे

देव – हे देव

सर्वकार्येषु – सभी कार्यों में

सर्वदा – सदा

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भावार्थ / अनुवाद

> "हे वक्रसूंड और विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्यों के समान तेजस्वी प्रभु! कृपया मेरे सभी कार्यों को सदा बिना किसी विघ्न के सम्पन्न कीजिए।"

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