शंभु शरणे पड़ी, मागुं घड़ी रे घड़ी कष्ट कापो..
दया करी शिव दर्शन आपो...
तमो भक्तोना भय हरनारा, शुभ सौनुं सदा करनारा..
हुं तो मंदमती, तारी अकळ गति, कष्ट कापो...
दया करी शिव दर्शन आपो..
अंगे भस्म स्मशाननी चोळी, संगे राखो सदा भूत टोळी..
भाले चन्द्र धरयो, कंठे विष धरयो, अमृत आपो...
दया करी शिव दर्शन आपो..
नेति नेति ज्यां वेद वदे छे, मारुं चितडुं त्यां जावा चहे छे..
सारा जगमां छे तुं, वसुं तारामां हुं, शक्ति आपो...
दया करी शिव दर्शन आपो...
आपो दृष्टिमां तेज अनोखुं, सारी सृष्टिमां शिवरुप देखुं..
मारा दिलमा वसो, आवी हैये वसो, शांति थापो...
दया करी शिव दर्शन आपो...
हुं तो एकलपंथी प्रवासी, छतां आतम केम उदासी..
थाक्यो मथी रे मथी, कारण મળतुं નથી, समजण आपो...
दया करी शिव दर्शन आपो...
शंकर दासनुं भवदुःख कापो, नित्य सेवा नुं शुभ फळ आपो..
टाळो मंदमती, टाळो गर्व गति, भक्ति आपो...
दया करी शिव दर्शन आपो...
आपो भक्तिमां भाव अनेरो, शिवभक्तिमां धर्म घणेरो,
प्रभु तमे पूजा, देवी पार्वती पूजो, कष्ट कापो,
दया करी दर्शन शिव आपो...
अंगे शोभे छे रुद्र नी माळा, कंठे लटके छे भोरिंग काळा,
तमे उमियापति, अमने आपो मति कष्ट कापो...
दया करी दर्शन शिव आपो...
शंभु शरणे पड़ी, मागुं घड़ी रे घड़ी कष्ट कापो..
दया करी दर्शन शिव आपो...
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