शुभम करोति कल्याणम: पूर्ण श्लोक, अनुवाद और महत्व
1. परिचय
"शुभम करोति कल्याणम" हिंदू धर्म में एक व्यापक रूप से उच्चारित और श्रद्धेय प्रार्थना है। यह अक्सर घरों और मंदिरों में दीपक जलाने से पहले या संध्याकालीन प्रार्थनाओं के दौरान गाया जाता है । यह श्लोक न केवल एक सुंदर काव्यात्मक अभिव्यक्ति है, बल्कि यह गहरे आध्यात्मिक अर्थ और आकांक्षाओं से भी भरा हुआ है। इस प्रार्थना का मुख्य उद्देश्य प्रकाश की ज्योति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना और उससे शुभता, कल्याण, स्वास्थ्य, धन और नकारात्मकता के विनाश का आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह रिपोर्ट इसी महत्वपूर्ण श्लोक के पूर्ण स्वरूप, इसके प्रत्येक शब्द के अर्थ, संपूर्ण हिंदी अनुवाद और हिंदू परंपराओं में इसके गहरे महत्व और व्याख्या पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखी गई है।
2. संस्कृत में पूर्ण श्लोक
अनेक स्रोतों के अध्ययन से, "शुभम करोति कल्याणम" का सबसे सटीक और पूर्ण पहला श्लोक देवनागरी लिपि में इस प्रकार है:
शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
कुछ स्रोतों में इस मुख्य श्लोक के बाद एक और श्लोक भी पाया जाता है, जो अक्सर इसके साथ ही उच्चारित किया जाता है :
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि पहला श्लोक लगभग सभी स्रोतों में एक समान पाया जाता है, दूसरा श्लोक एक विस्तार या संबंधित प्रार्थना के रूप में प्रकट होता है जिसे अक्सर पहले श्लोक के साथ पढ़ा जाता है। कुछ ऑनलाइन वीडियो के उपशीर्षकों में मामूली भिन्नताएं दिखाई देती हैं, जैसे "गुरुत्वम प्यून आरोग्यम्" और "दिपक चोथी नमो स्तुति" , लेकिन ये संभवतः उच्चारण या लिप्यंतरण त्रुटियां हैं। मराठी परंपरा में, पहले श्लोक के बाद मराठी अनुवाद भी दिया जाता है , जो विभिन्न क्षेत्रीय उपयोगों को दर्शाता है।
3. पदार्थ (शब्द-शः अर्थ)
नीचे दी गई तालिका में पहले श्लोक के प्रत्येक संस्कृत शब्द और उसके संगत हिंदी अर्थ को दर्शाया गया है, जो विभिन्न स्रोतों से प्राप्त परिभाषाओं पर आधारित है:
| संस्कृत शब्द | हिंदी अर्थ |
|---|---|
| शुभं | अच्छा, शुभ, मंगलकारी, कल्याण, भाग्यशाली, शानदार, आकर्षक, अमीर |
| करोति | करता है, बनाता है, लाता है, करता है, निर्माण करता है |
| कल्याणं | कल्याण, मंगल, आनंद, भलाई, शुभ, भाग्य, नोबल, जॉयफुल |
| आरोग्यं | रोग से मुक्ति, स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती, नीरोग, रोगरहित, स्वस्थ |
| धनसंपदा | धन और संपत्ति, समृद्धि, प्रचुर धन |
| शत्रु | दुश्मन, शत्रु, वैरी, विरोधी, अरि |
| बुद्धि | बुद्धि, मन, समझ, विचार, प्रबोधन, मानसिक योग्यता, विवेक, अक्ल |
| विनाशाय | विनाश के लिए, नष्ट करने के लिए, समाप्त करने के लिए, दूर करने के लिए |
| दीपज्योतिः | दीपक की ज्योति, प्रकाश का दीपक |
| नमोऽस्तुते | आपको नमस्कार, मैं आपको नमन करता हूँ |
4. हिंदी अनुवाद
पहले श्लोक का समग्र हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
"मैं उस दीपक की ज्योति को नमस्कार करता हूँ जो शुभता, कल्याण, स्वास्थ्य और धन-संपदा प्रदान करती है तथा शत्रु बुद्धि (नकारात्मक विचारों) का विनाश करती है।"
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त अनुवाद इस अर्थ की पुष्टि करते हैं । ये अनुवाद दीपक की ज्योति को शुभता, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य लाने वाला बताते हैं, साथ ही नकारात्मक शक्तियों और प्रवृत्तियों को नष्ट करने वाला भी मानते हैं।
दूसरे श्लोक का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
"दीपज्योति परब्रह्म है, दीपज्योति जनार्दन है। दीपक मेरे पापों को दूर करे, दीपज्योति को मेरा नमस्कार है।"
यह अनुवाद दीपक की ज्योति को सर्वोच्च वास्तविकता (ब्रह्म) और भगवान विष्णु (जनार्दन) का प्रतिनिधित्व करने वाला बताता है । यह प्रार्थना करता है कि दीपक का प्रकाश उपासक के पापों को दूर करे और उस दिव्य ज्योति को सादर नमन करता है।
5. महत्व एवं व्याख्या
प्रकाश का प्रतीकवाद: हिंदू दर्शन में प्रकाश एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, जो ज्ञान, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है। दीपक की ज्योति (दीपज्योति) अंधकार को दूर करने का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे अक्सर अज्ञान और नकारात्मकता से जोड़ा जाता है । इस श्लोक का पाठ और दीपक जलाना प्रतीकात्मक रूप से ज्ञानोदय की खोज और नकारात्मक प्रवृत्तियों पर विजय पाने के एक सचेत प्रयास के रूप में व्याख्या की जा सकती है। यह मंत्र शत्रुतापूर्ण भावनाओं को खत्म करने और इस प्रकार शुभता, धन और समृद्धि लाने के उद्देश्य से जपा जाता है ।
वांछित आशीर्वाद का अर्थ और महत्व: इस श्लोक में कई महत्वपूर्ण आशीर्वादों की कामना की गई है, जो एक पूर्ण जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं।
* शुभं: यह शब्द शुभता, सौभाग्य और सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है। किसी भी कार्य या जीवन में शुभता का होना सफलता और सकारात्मक परिणामों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
* कल्याणं: इसका अर्थ है कल्याण, कुशल-क्षेम और स्वयं और दूसरों के लिए समग्र अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि । यह केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण को भी समाहित करता है।
* आरोग्यं: यह स्वस्थ रहने और बीमारियों से मुक्त रहने के महत्व पर जोर देता है । एक स्वस्थ शरीर को एक पूर्ण जीवन प्राप्त करने के लिए आवश्यक माना जाता है ।
* धनसंपदा: यह धन और समृद्धि के महत्व को दर्शाता है, न केवल भौतिक रूप से, बल्कि स्वयं का समर्थन करने और समाज में योगदान करने के साधन के रूप में भी ।
इन आशीर्वादों का क्रम (शुभता, कल्याण, स्वास्थ्य, धन) एक अच्छे जीवन के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो सकारात्मक शुरुआत से शुरू होता है और भौतिक समृद्धि में परिणत होता है जो समग्र कल्याण का समर्थन करता है।
"शत्रु बुद्धि विनाशाय" का महत्व: "शत्रु बुद्धि" शब्द का अर्थ केवल बाहरी शत्रु नहीं है, बल्कि नकारात्मक विचार, आंतरिक संघर्ष और शत्रुतापूर्ण भावनाएं भी हैं जो किसी व्यक्ति की प्रगति और कल्याण में बाधा डाल सकती हैं । इस पहलू का समावेश आंतरिक शुद्धता और इस मान्यता पर हिंदू धर्म के जोर को उजागर करता है कि आंतरिक नकारात्मकता एक अच्छे जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा है । नकारात्मकता पर विजय प्राप्त करना और आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए सकारात्मक विचारों को विकसित करना महत्वपूर्ण है।
पठन का संदर्भ: इस श्लोक को पारंपरिक रूप से दीपक जलाते समय, विशेष रूप से शाम के समय जपा जाता है । यह अनुष्ठानिक कार्य श्लोक के अर्थ को पुष्ट करता है, जिसमें भौतिक प्रकाश ज्ञान और सकारात्मकता के आंतरिक प्रकाश का प्रतीक है । दैनिक अनुष्ठान के दौरान श्लोक का पाठ इसके संदेश को सुदृढ़ करता है और इसे दैनिक जीवन में एकीकृत करता है, जिससे यह कल्याण और सकारात्मकता के लिए एक निरंतर प्रार्थना बन जाती है। संध्या के समय पाठ का समय भी प्रतीकात्मक हो सकता है, जो दिन से रात में संक्रमण और अंधकार के माध्यम से मार्गदर्शन के लिए आंतरिक प्रकाश की आवश्यकता को दर्शाता है।
देवताओं और दार्शनिक अवधारणाओं से संबंध: दूसरे श्लोक का ब्रह्म (परम वास्तविकता) और विष्णु (संरक्षक) से संबंध दिव्य प्रकाश के प्रति श्रद्धा को उजागर करता है । यह श्लोक कल्याण की तलाश, नकारात्मकता पर विजय और रोजमर्रा की जिंदगी में दिव्य उपस्थिति को पहचानने के मूल हिंदू मूल्यों को समाहित करता है। दूसरे श्लोक में ब्रह्म और विष्णु का आह्वान श्लोक को केवल भौतिक कल्याण के लिए एक साधारण प्रार्थना से ऊपर उठाता है, इसे गहन हिंदू दार्शनिक और धार्मिक अवधारणाओं से जोड़ता है।
6. निष्कर्ष
"शुभम करोति कल्याणम" श्लोक हिंदू परंपरा में शुभता, कल्याण, स्वास्थ्य, धन और नकारात्मकता को दूर करने की प्रार्थना के रूप में गहरा महत्व रखता है। यह प्रकाश के शक्तिशाली प्रतीकवाद में निहित है और इसका नियमित पाठ व्यक्ति को सकारात्मक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। यह श्लोक न केवल एक सुंदर प्रार्थना है, बल्कि यह हिंदू धर्म के मूल मूल्यों और दर्शन का भी सार है, जो हमें आंतरिक शांति, समृद्धि और दिव्य उपस्थिति की निरंतर याद दिलाता है।