Saturday, 4 May 2019

4 मई -बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल जन्मदिन..

4 मई -बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल जन्मदिन.. 

17वीं सदी में परदेशी मुग़ल बादशाहों के राज को अस्वीकार कर अपनी मिट्टी पे अपना स्वराज स्थापित करने के लिए दक्षिण छत्रपति शिवाजी महाराज और उत्तर में महाराज छत्रसाल को सम्मान से याद किया जाता है। महाराजा छत्रसाल ने शिवाजी महाराज से प्रेरणा ले मुग़लों के विरुद्ध मोर्चा खड़ा किया और अपनी स्वतंत्रता के लिए कटिबद्ध हुए। उन्हों ने अपनी लड़ाई की शुरुआत महज़ 5 घुड़सवार और 25 सैनिक के साथ की थी। फिर भी इस बहादुर योद्धा ने मुग़लों को कई बार धूल चटाई और स्वतंत्र बुंदेलखंड की स्थापना की। औरंगजेब छत्रसाल को पराजित करने में सफल नहीं हो पाया। उसने रणदूलह के नेतृत्व में 30 हजार सैनिकों की टुकडी मुगल सरदारों के साथ छत्रसाल का पीछा करने के लिए भेजी थी। छत्रसाल अपने रणकौशल व छापामार युद्ध नीति के बल पर मुगलों के छक्के छुड़ाता रहा। छत्रसाल को मालूम था कि मुगल छलपूर्ण घेराबंदी में सिद्धहस्त है। उनके पिता चंपतराय मुग़लों से धोखा खा चुके थे। छत्रसाल ने मुगल सेना से इटावा, खिमलासा, गढ़ाकोटा, धामौनी, रामगढ़, कंजिया, मडियादो, रहली, रानगिरि, शाहगढ़, वांसाकला सहित अनेक स्थानों पर लड़ाई लड़ी। छत्रसाल की शक्ति बढ़ती गयी। बन्दी बनाये गये मुगल सरदारों से छत्रसाल ने दंड वसूला और उन्हें मुक्त कर दिया। बुन्देलखंड से मुगलों का एकछत्र शासन छत्रसाल ने समाप्त कर दिया। महाराजा छत्रसाल ने अपनी बेटी मस्तानी का विवाह बाज़ीराव पेश्वा से कर बुंदेला और मराठा में नए सबँध बांधे थे। अपने अग़म्य साहस और शक्ति के लिए बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल हमेशा इतिहास के पन्नों में और हमारे हृदय में अमर रहेंगे..
शत् शत् नमन..
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